Why Do We Celebrate Buddha Purnima? Meaning, Significance & Rituals

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू और बौद्ध धर्म दोनों में एक अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण तीनों की स्मृति में मनाया जाता है। यह त्रिगुण संयोग इसे और भी विशेष बना देता है।

भगवान बुद्ध का जन्म और प्रारंभिक जीवन

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में एक क्षत्रिय राजा शुद्धोधन और रानी मायादेवी के यहाँ हुआ था। उनका प्रारंभिक नाम सिद्धार्थ था। वे विलासिता में पले-बढ़े, लेकिन जीवन में दुख, रोग और मृत्यु की सच्चाई ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

बुद्धत्व की प्राप्ति

सत्य की खोज में सिद्धार्थ ने घर-परिवार त्याग दिया और कठोर तप किया। वर्षों की साधना के बाद उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे ‘बुद्ध’ बन गए — जिसका अर्थ है “जाग्रत व्यक्ति”।

बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? अर्थ, महत्व और परंपराएँ

बुद्ध का उपदेश

ज्ञान प्राप्ति के पश्चात, बुद्ध ने ‘धम्म’ (धर्म) का प्रचार किया। उन्होंने मध्यम मार्ग (Middle Path), अष्टांगिक मार्ग और चार आर्य सत्य का उपदेश दिया। उनके विचार करुणा, अहिंसा और आत्मज्ञान पर आधारित थे।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

  1. तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ: इसी दिन उनका जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु — तीनों हुए थे। इसलिए यह दिन त्रिस्मृति पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  2. बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र दिन: बौद्ध धर्म को मानने वाले इसे ध्यान, उपवास, प्रवचन और सेवा के माध्यम से मनाते हैं।
  3. विश्व भर में मनाया जाता है: भारत के अलावा श्रीलंका, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, जापान, मंगोलिया और अन्य देशों में भी यह पर्व श्रद्धा से मनाया जाता है।

परंपराएँ और अनुष्ठान

बोधगया

बोधगया

बुद्ध पूर्णिमा

  • मंदिरों और विहारों को सजाया जाता है।
  • बुद्ध की मूर्ति को स्नान कराया जाता है और फूल अर्पित किए जाते हैं।
  • उपवास, ध्यान और परोपकार किए जाते हैं।
  • कई लोग रक्तदान या वस्त्र दान जैसे सेवा कार्य करते हैं।

आधुनिक युग में बुद्ध पूर्णिमा

आज के समय में जब तनाव, क्रोध और हिंसा तेजी से बढ़ रही है, बुद्ध के विचार और शिक्षाएँ पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। उनका संदेश आत्मज्ञान, सह-अस्तित्व और प्रेम पर आधारित था।

निष्कर्ष

बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि आंतरिक शांति, सत्य और करुणा से ही जीवन में सच्चा समाधान संभव है।

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